How to empower yourself in a life stricken with scarcity \ अभावग्रस्त जीवन में खुद को शशक्त कैसे बनाये| (11th October, 2020)
English:
The program started with our Chief Guest Shri Hanuman Das Ji speaking about scarcity in one's life. He inspired that if we have hope in our life scarcity will automatically vanish, he also stated that scarcity is just in our mind.Further the audience is inspired by our Chief Speaker Mr. Harish Sharma Sir as he told his childhood struggle and stories, and he also described how there is a difference between honesty and wealth & how honesty always supersedes wealth.
The event further progressed with the inspiring speech of Mr. Shivaji Rao. Mr. Shivaji Rao gave some beautiful examples from Indian history and told the story of Lord Ram and Squirrel and how the squirrel played just its own part and helped to build the whole bridge (Ram Setu). He also encouraged the audience with the example of national award winner ‘Tiffany Brar’.
Next our guest of honour Professor Jayashankar Sir stated “We have to empower ourselves and find our own ways in our life and move ahead. Nobody wants sympathy, what we need is opportunity”. With these golden words the program was concluded.
Hindi:
कार्यक्रम की शुरुआत हमारे मुख्य अतिथि श्री हनुमान दास जी ने की जिसमे उन्होंने हमारे जीवन में अभाव के बारे में बताया और कैसे उस अभावग्रस्त जीवन में हम अपने आप को बेहतर बना सकते हैं, और इसके प्रति हमारा मार्गदर्शन किया। उन्होंने बच्चो को प्रेरित किया कि “यदि हमें अपने जीवन से आशा और उम्मीद है तो कैसे हम आभाव में भी अपने लिए अवसर बना सकते है”, उन्होंने यह भी कहा कि अभाव सिर्फ हमारे मन और दिमाग का वहम है। आगे दर्शकों को हमारे मुख्य वक्ता श्री हरीश शर्मा से प्रेरणा मिली, उन्होंने अपने जीवन के बचपन के संघर्ष को कहानियों के माध्यम से बताया, उन्होंने ये भी बताया कि ईमानदारी और धन के बीच अंतर कैसे होता है और ईमानदारी हमेशा धन को कैसे प्राप्त करती है।यह आयोजन श्री शिवाजी राव के ज़बरदस्त भाषण के साथ आगे बढ़ा। श्री शिवाजी राव ने भारतीय इतिहास से कुछ सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया और भगवान राम और गिलहरी की कहानी भी बताई और बताया कि किस तरह गिलहरी ने सिर्फ अपना हिस्सा खेला और पूरे पुल (राम सेतु) के निर्माण में मदद की। उन्होंने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ‘टिफ़नी बरार’ का उदाहरण देकर दर्शकों को प्रोत्साहित किया।
इसके बाद हमारे गेस्ट ऑफ ऑनर प्रोफेसर जयशंकर जी ने कहा “हमें अपने आप को सशक्त बनाना होगा और अपने जीवन में अपने तरीके खोजने होंगे और आगे बढ़ना होगा। कोई भी सहानुभूति नहीं चाहता है, हमें जो चाहिए वह अवसर है ”। इन सुनहरे शब्दों के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।