CONTRIBUTION OF DIVYANGJAN IN STARTUP! \ STARTUP में दिव्यांगजन का सहयोग! (18th October, 2020)
English:
The webinar started with quite an informative session addressed by our Chief Speaker Mr Paritosh Tripathi, in which he enlightened the audience about the technicalities of a startup and how there are various opportunities for the Divyaangjan in it.Further our Guest of Honour Mr Vishvendra N Thakur provided an insight about various government programs running for the benefit of the divyangjan and how they can use these to establish their own business. He also explained how UDID is extremely beneficial for the Divyaangjan. He also stated how there is a lack of awareness about these opportunities among Divyaangjan themselves. He also elaborated how we know the name of a program but we don't know how to use it.
Next our chairperson Dr Kuldeep Singh started his speech with the statement “Serving the Divyaangjan is equivalent to serving God”. He gave various beautiful examples of Hindu gods like Arundev. At last he thanked veeery.com and Dharnika Foundation and Bhartiya Vaishya mahasabha organise this event.
Hindi:
वेबिनार की शुरुआत हमारे मुख्य वक्ता श्री पारितोष त्रिपाठी जी द्वारा संबोधित एक सूचनात्मक सत्र से हुई, जिसमें उन्होंने दर्शकों को एक स्टार्टअप की तकनीक के बारे में बताया और इसमें दिव्यांगजन के लिए विभिन्न अवसर कैसे हैं उसके बारे में बताया।इसके अलावा हमारे अतिथि श्री विश्वेन्द्र एन. ठाकुर ने दिव्यांगजन के लाभ के लिए चल रहे विभिन्न सरकारी परियोजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान की और कैसे वे इनका उपयोग करके अपना खुद का व्यवसाय स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे यूडीआईडी दिव्यांगजनों के लिए बेहद फ़ायदेमंद है। उन्होंने यह भी कहा कि दिव्यांगजन के बीच इन अवसरों के बारे में जागरूकता की कमी कैसे है और इस कमी को कैसे दूर कर सकते हैं। उन्होंने यह भी विस्तार से बताया कि हम इन परियोजनाओं के बारे में जानते हैं लेकिन हम इसका उपयोग करना नहीं जानते हैं ।
इसके बाद हमारे चेयरपर्सन डॉ. कुलदीप सिंह ने अपने भाषण की शुरुआत "दिव्यांगजन की सेवा भगवान की सेवा करने के बराबर है" के साथ की। उन्होंने अरुण-देव जैसे हिंदू देवताओं के विभिन्न सुंदर उदाहरण दिए। अंत में उन्होंने veeery.com और धर्निका फ़ाउंडेशन और भारतीय वैश्य महासभा को यह कार्यक्रम आयोजित कराने के लिए धन्यवाद दिया।